अब द्रविड़ क्या करे??
ये वक्त भारत के दिवार कहे जाने वाले द वाल के लिए कुछ अछा नही जा रहा है। हर किसी की नजर अब उसके तरफ़ ही लगी है। सभी पहले लिस्ट से सचिन, लक्ष्मण , दादा अनिल कुंबले और राहुल द्रविड़ को निशाना बना रहे थे और कही ना कही दवाब बनाया जा रहा था। सचिन और लक्ष्मण ने तो अपने आप को साबित कर दिया जब की दादा और अनिल तो सन्यास ले चुके। अब सभी दवाब राहुल द्रविड़ पे है। जबकि देश के कई पुराने दिग्गज क्रिकेटरों का ये मानना है की ख़राब फॉर्म से गुजर रहे राहुल को समर्थन चाहिए। और राहुल को मोहाली टेस्ट मे जरुर खिलाना चाहिए।
11 जनवरी 1973 को जन्मे राहुल सरद द्रविड़ अब 36 साल के होने वाले है और कुछ लोग उनके उमर को निशाना बनाने लगे है तो उनको ये लाइन जरुर पढ़नी चाहिए। सुनील गावस्कर ने 1987-88 मे न्यूजीलैंड के बिरुद्ध नागपुर मे 38 साल 113 दिन की उमर मे शतक बनाया था। जयसूर्या ने इस रिकॉर्ड को अपने 39 वे जन्म दिन पे बांग्लादेश के बिरुद्ध 130 रन बना कर तोडा था। इसके 6 दिन बाद जयसूर्या ने एक और शतक बना दिया था।
कुछ लोगो को अब राहुल पे भरोसा नही रह गया है। तो उनके लिए ये याद दिलाये के जो टेस्ट मे 80 % से ज्यादा पारियों मे 50 की औसत रख पाए उनमें आज के सिर्फ़ 3 ही क्रिकेटर है सचिन, राहुल और ऐडम गिलक्रिस्ट।
राहुल द्रविड़ ने 212 मे से 83.71 और सचिन ने 240 मे से 80.83 % पारियों में 50 की औसत बनाये रखा।
लोग अब ये कह रहे है के क्या अगली बारी राहुल की ही है? वैसे ये देखा जाए तो कहा जा सकता है का कुछ अरसे से उनका खेल बाद से बदतर होता जा रहा है। हाल के ही कंगारुओ के खिलाफ भी उनका बल्ला नही बोला तो कुछ लोग तो यहाँ तक बोलने लगे थे का कही ऐसा न हो के दो महान बल्लेबाज़ ने एक ही साथ अपन आगाज़ किया तो एक ही साथ अंत भी कर ले।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए हाल के सीरिज़ मे वो चार टेस्ट मैच मे सिर्फ़ एक ही फिफ्टी लगा पाए और कुल 17.14 की औसत से 120 रन ही बनाये। और उसके पिछले दिनों जब टीम इंडिया ने श्रीलंका का दौरा किया था तो भी ये द वाल रेत की दिवार की तरह ही टिकी थी। कुल 148 रन तिन टेस्ट में बनाये थे।
वैसे क्या राहुल द्रविड़ के ख़राब फॉर्म के लिए उसका मानसिक हालात ही जिमेदार है? थोड़ा पीछे जाते है जो दुनिया का सब से बहतरीन बल्लेबाज़ था अपने टीम का कप्तान था उसने अपने कप्तानी क्या छोर दी उसका बल्ला भी उससे रूठ गया और अगले ही सिरीज़ से वो निकाल दिया गया और सब ने ये माना था के उस जैसे सीनियर क्रिकेटर को निकाले जाने का मतलब था को उसके क्रिकेट जीवन पे खतरा।
उस क्रिकेटर पे जिसके नाम पे कुछ ऐसे रिकॉर्ड है जो और किसी के नाम पे नही जैसे वो दुनिया का अकेला बल्लेबाज़ है जिसने हर टेस्ट खेलने वाले देश की जमीं पे उसके खिलाफ शतक बनाया है। वो उन तिन बल्लेबाजों मे शामिल है जिन्होंने चार लगातार पारियों मे शतक लगाया है। उसके नम्बर तिन पे खेलने को ले कर भी सवाल उठते है जबकि ये पता होना चाहिए १५० से जायदा पारी खेली है और 7677 रन बनाये है साथ ही साथ 72 शतकिये साझेदारी का भी रिकॉर्ड उसके नाम ही है। टेस्ट मैच में 180 और एकदिवासिये मे 193 कैच उसके नाम है।
मगर हाल के इंग्लिश टीम के खिलाफ जब उनके हाथो से कैच टपका तो सब देख कर ये ही बोल रहे थे के अब वो टेस्ट के लिए पुरे फिट भी है के नही। जिस द वाल को सबने सचिन और सौरभ से मानसिक रूप से ज्यादा मजबूत माना गया था अब ऐसा लगता है के कही न कही उनका विश्वाश डगमगा गया है और उनको सच मे कप्तान से और टीम से समर्थन चाहिए। और जिसने भी दिवार के 25 शतक मे से 24 मे भारत को टेस्ट हारने से बचते ही देखा है वो तो जरुर चाहते होंगे के द्रविड़ फ़िर से फॉर्म मे आ जाए।
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